डाकघर की 5 वर्षीय टाइम डिपॉजिट स्कीम और सीनियर सीटिजन सेविंग स्कीम (SCSS) को धारा 80C के तहत कर-लाभ के दायरे में रखा गया है.
ELSS कोई अन्य धारा 80सी निवेश की तुलना में अधिक तरल हैं, क्योंकि इनमें सिर्फ 3 साल का लॉक-इन पीरियड होता है.
डाकघर कि विभिन्न स्कीम्स में निवेश से आप आयकर अधिनियम कि धारा 80C के तहत अच्छा खासा टैक्स बचा सकते हैं और सुरक्षित रिटर्न पा सकते हैं.
साल में 1.5 लाख रुपये का टैक्स-बेनिफिट क्लेम कर सकते हैं, वहीं 80D और 10(10D) जैसी दूसरी धारा का उपयोग करके भी आप टैक्स बचा सकते हैं.
Best Tax-Saving Instruments: पीपीएफ में निवेश करने वाले लोग 15 साल बाद हर पांच साल बाद निवेश की अवधि 5-5 साल बढ़ा सकते हैं.
म्यूचुअल फंड में केवल ELSS कैटेगरी में किए गए निवेश पर आयकर कानून की धारा 80C के तहत कर-कटौती का लाभ मिलता है.
कई लोग टैक्स-बेनिफिट के लिए टर्म प्लान खरीदते हैं, लेकिन यह गलत हैं. इसको खरीदने का उद्देश्य सिर्फ टैक्स में बचत नहीं होना चाहिए.
अगर आपकी सालाना आय 5 लाख रुपये से ऊपर नहीं जा रही है तो आप टैक्स लाइबिलिटी पर 12,500 रुपये तक टैक्स रिबेट क्लेम कर सकते हैं.
टैक्स सेव करने के बेस्ट तरीकों में सेक्शन 80C आता है. इस सेक्शन के तहत आपको सालाना अधिकतम 1.5 लाख रुपये का टैक्स एग्जेंप्शन मिलता है.
Tax Saving Investment: ELSS ना सिर्फ अन्य टैक्स बचत विकल्पों से कम लॉक-इन अवधि के साथ आता है बल्कि रिटर्न के मोर्चे पर भी ये आगे है.